राहुल की पदयात्रा डूबती कांग्रेस को कैसे अमृत देगी ?

Rahul Gandhi Padyatra

पदयात्रा के इतिहास पर नज़र डालें तो आंध्र प्रदेश में कांग्रेस को उखाड़ने के लिए NTR ने 1982 में पदयात्रा ही की थी और तेलगुदेशम पार्टी ने इंदिरा जी के समय मे कांग्रेस को बुरी तरह हराया था. एनटीआर का एरा चलता रहा और उस को ख़त्म करने के लिए अंत में कांग्रेस के दिग्गज नेता YSR Reddy ने भी पदयात्रा की थी. उनके बेटे जगन मोहन रेड्डी ने अंत में YSR Congress पार्टी बना ली और पिछले चुनाव में पदयात्रा की. परिणाम स्वरूप भाजपा, तेलगूदेशम और कांग्रेस तीनो को पछाड़ते हुए नयी बानी पार्टी ने चुनाव जीता और जगन मुख्यमंत्री हैं.

देश आज़ाद होने से पहले जवाहर लाल नेहरू ने राजनीती शुरू की तो पहले भारत घूमा. क्योंकि 121 भाषाओँ और 270 मात्र-भाषाओं के देश को आप दिल्ली या इलाहबाद में बैठ के नहीं जान सकते थे. 1946 में उनकी लिखी किताब “Discovery of India” में इसी भारत भ्रमण के अनुभव हैं.

गाँधी जी जब विदेश से आये तो उन्होंने भी भारत घूमा. जिस देश में 3000 जातियां और 25,000 उपजातियां हो उसे आप आसानी से नहीं समझ सकते. उसके लिए भ्रमण जरुरी है. मोदी की USP यही है की वह संघ के प्रचार रहे हैं और उन्होने कई सालों तक देश घूमा है. भ्रमण से जो अनुभव प्राप्त होता है वह किसी किताब या सलाहकार से नहीं मिल सकता.

राहुल गाँधी सितम्बर से 12 राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों की पद यात्रा पर निकलेंगे. लगभग 150 दिन की इस यात्रा में लगभग 22 किमी रोज चलना पढ़ेगा. यदि वो 22 शहर क़स्बों के लोगों से भी मिल लिए तो ये आंकड़ा 3,300 होता है. हर लोकसभा चुनाव में मोदी शाह और राज्य के नेता मिल कर औसतन करीब 40 रैली-सभा करते हैं. ये आंकड़ा यूपी जैसे राज्य में ज्यादा तो छोटे राज्यों में कम भी होता है.

यदि राहुल गाँधी अपने घेरे से निकल कर आम जनता से मिलने में कामयाब रहे तो वो अकेले भाजपा के सारे नेताओं से ज़्यादा रैलियां-सभा करने वाले नेता भी होंगे और ये तरीका ज्यादा कारगर भी होगा. सारा दारोमदार अब राहुल गाँधी की इवेंट मैनेजमेंट टीम का है. #कालचक्र