मनीष सिसोदिया क्यों अरेस्ट हुए ? किसी को असली घोटाला पता है ? नहीं।
चलो मैं एक फ्यूचर प्रिडिक्शन दिए दे रहा हूं जिसके सही होने के मेरे हिसाब से 99% चांस हैं। “आप” सरकार ने दिल्ली में शराब पॉलिसी बदली। ठेके के लाइसेंस नए बने । और उन्हें सप्लाई करने के वेंडर भी बदले। कल को आरोप निकलेगा की पहले तो लाइसेंस उन्हें मिले जो करीबी थी।। लेकिन असली घोटाला बताया जाएगा की जो शराब की सप्लाई करने वाला वेंडर/ठेकेदार है वो मनीष सिसोदिया का दोस्त था और उसे ठेका मिल गया जिसका कमीशन मनीष को करोड़ों में मिला है।
अब आम आदमी पार्टी कहेगी की वेंडर एक टेंडर प्रक्रिया से चुने जाते हैं। जिसमें इश्तिहार देकर सभी से एप्लिकेशन मांगे जाते हैं, जिसका या तो लॉटरी सिस्टम से ड्रा निकलता है या जो भी सबसे सस्ता रेट भरता हैबुसे दिया जाता है। और इस प्रोसेस में हर जिले का DM इन्वॉल्व होता है जो ग्रह मंत्री यानी केंद्र के अंदर आता है तो राज्य सरकार या राज्य कर मंत्री को अकेले दोषी बनाया ही नही जा सकता।
इसके बाद मनीष और पूरी आम आदमी पार्टी केंद्र सरकार के डिसिन्वेस्टमेंट पर सवाल करेगी क्योंकि वहां भी यही तरीका अपना के एयर इंडिया, पवन हंस, एयरपोर्ट जैसी हजारों करोड़ की संपत्ति वेंडर्स को अलॉट की या बेच दी गई है। अब ये तरीका गलत है तो दोनों का और सही है तो दोनों का। इसके बाद ये केस ठंडे बस्ते में चला जायेगा और कोर्ट कहेगा कि कोई घोटाला हुआ ही नहीं। 2G, 3G और कोयला घोटाला की तरह कोर्ट और जनता का समय बर्बाद किया जाएगा।
लेकिन इस प्रोसेस में कई साल लगेंगे और भाजपा और वर्तमान मीडिया तब तक “आप” को भ्रष्टाचारी पार्टी घोषित कर देंगे। इस केस को सिर्फ पॉलिटिकल माइलेज के लिए स्तेमाल करने के लिए बनाया है। इसमें उन अभिवावकों का सबसे ज्यादा नुकसान है जिनके बच्चे दिल्ली सरकार के सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं। क्योंकि आप केजरीवाल के आलोचक हो सकते हैं लेकिन मनीष के शिक्षा क्षेत्र के काम की सराहना आपको करनी पड़ेगी। #कालचक्र
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