गौतम अडानी ने क्यों झूठ कहा है की यदि भारत 25 ट्रिलियन की इकोनॉमी/GDP वाला देश बन जाए तो कोई भूखा नहीं सोयेगा. दरअसल भुखमरी का अर्थव्यवस्था से लेना देना बहुत कम है. GDP यानी सकल घरेलू आय का अर्थ होता है की किसी देश ने एक साल में कुल कितने रकम का उत्पाद या सर्विस पैदा किये. अब मान लो अकेले अडानी और अम्बानी की ही फैक्ट्री एक साल में 25 ट्रिलियन का माल एक्सपोर्ट कर दे तब भी GDP की वेल्यू 25 हो जाएगी जबकि इसका आम आदमी के जीवन पे कोई असर नहीं पड़ेगा.
देश में एक आदमी 100 कमाए या 100 लोग 1 -1 कुल GDP 100 ही रहेगी. लेकिन हर आदमी एक कमायेगा तो सभी भर पेट खाएंगे. यही असली कारन है जिसकी वजह से मैं प्राइवेटाइजेशन का विरोध करता हूँ. प्राइवेटाइजेशन के नाम पर छोटे व्यापारियों को ख़त्म करके बड़े उधोगपतियों की मोनोपोली स्थापित की जा रही है.
अम्बानी अडानी जैसे लोग सिर्फ वही बिजनेस करते हैं जिसमें देश की सम्पदा जैसे सड़क , खदान , एयरपोर्ट , जमीन को औने-पौने दाम में लेकर जनता से पैसा वसूलते हैं. ये देश का खून चूसने वाले उधोगपति बस इतना बता दें की इन्होने आज तक ऐसा कौन सा धंधा किया जिससे कोई नया उत्पाद , अविष्कार , सर्विस पैदा हुयी है.? #कालचक्र