SnP स्टेंडर्ड एंड पूअर अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी ने कहा है की अडानी की रेटिंग गिर सकती है। उससे बैंक लोन देना बंद करेंगे और पब्लिक का पैसा शेयर मार्केट में डूबेगा अदानी कर्जा NPA करवाएगा। और कारण वही है जो में पिछले ८ सालों से चिल्ला रहा हूं … अडानी का अंपायर नॉन रिलेटिड फील्ड में बढ़ना। अर्थात जिस फील्ड में एक्सपीरियंस नही उसमे घुसना। ऊपर से कम मुनाफे के बाद भी कई गुना कर्जा लेकर नए धंधे खरीद लेना।
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मैं ८ साल से लिख रहा हूं की अदानी और अंबानी मात्र वो धंधा कर रहे जिसमे सरकार से मदद लेके पैसा कमा सकें। इन्होंने इस धंधे में न कोई अविष्कार किया है न ही इनके पास कोई अच्छा प्रोडक्ट है। मार्केट के इनोवेशन-डिमांड-सप्लाई नियम के बजाय इन्होंने सरकार से ठेका लेने का शॉर्टकट निकाला है जो कभी भी फुस्स हो सकता है। ध्यान रहे अनिल अंबानी भी jugad लगा के ओ. एन. जी. सी. और नेवी से शिप बनाने का ठेका तो ले आए थे लेकिन शिप डिलीवर नही कर पाए तो कोर्ट ने सिक्योरिटी जब्त कर ली थी।
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भारत की अर्थव्यवस्था पर उसका प्रभाव :
“नेवर पुट ऑल एग्स इन वन बॉस्केट” एक पुरानी कहावत है की सारे अंडे एक टोकरी में मत रखो कही गलती से गिर गई तो खाओगे क्या ?
इन्वेस्टमेंट में इसका मतलब है की कोई कितना भी अच्छा ऑप्शन क्यों ना हो लेकिन ज्यादातर पैसा एक जगह मत लगाओ क्योंकि वो डूब गया को कही के नही रहोगे। लेकिन हमारे बैंक हैं की अडानी को लोन पे लोन दिए जा रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया में खदान खरीदने के लिए दुनिया की सारी बैंको ने अदानी को मना कर दिया तो मोदी जी ने SBI को मदद करने को कहा।
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भारत के बैंको का अडानी पर ४.१ लाख करोड़ का लोन है। यदि अदानी डूबा तो भारत की अर्थव्यवस्था में भूचाल आ जायेगा। इसका आखिरी प्रभाव बैंको के आम उपभोगताओं पर ही पड़ेगा और पासबुक एंट्री, एटीएम चार्ज वगैरह के नाम पर भरपाई की जायेगी। आम आदमी के लोन पर ब्याज दरें बढ़ाई जाएंगी। इकोनोमी का सत्यानाश हो जायेगा। लेकिन क्या इतना बढ़ा रिस्क मात्र मोदी जी के एक मित्र के लिए लेना जायज है ? #कालचक्र