योगी राज के लगभग सारे एनकाउंटर्स की कहानी सेम कैसे ?

यूँ तो योगी राज में हुए एनकाउंटर्स पर ह्यूमन राइट कमीशन से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ने सवाल उठाये हैं। हर एनकाउंटर में मरने वाले के परिजनों एवं लोगों का कहना कुछ होता है और पुलिस की कहानी कुछ और कहती है। यूपी के 24 जिलों में हुए 2351 एनकाउंटर्स में FIR एक दूसरे की फोटो कॉपी जैसी दिखती हैं, लगभग सबकी कहानी एक जैसी है l FIR की कहानियों की समानताएं समझिये:

1.) लगभग सारे एनकाउंटर रात या एकदम सुबह (3-4AM) के समय हुए जिनमे पुलिस ने टोर्च-लाइट से व्यक्ति को देखा और आत्म रक्षा में एनकाउंटर हुआ।

2) 12 FIR में “रात एवं अँधेरा होने, डर से गवाह न बन ने की वजह से” कोई चश्मदीद गवाह नहीं है (मतलब जंगल में मोर नाचा किसने देखा .. सिर्फ पुलिस ने)

3) 18 FIR में पुलिस ने “अदम्य साहस” दिखाया (प्रमोशन के लिए काम आता है)

4) 12 FIR की कहानी है की पुलिस को टिप मिली, व्यक्ति बाइक पर था, पीछा करने पे गिर गया.. गिरते ही फायर कर दिया.. (बाइक से गिरकर हॉस्पिटल जाने की हालत होती है या मोर्चा सम्हालने की ?)

5) 11 FIR में पुलिस ने लिखा है की “सिखाये गए तरीके” (प्रमोशन के लिए आसानी होगी)
6) 16 FIR में लिखा है की “जान की परवाह किये बिना” वैसे आप को बता दूँ (उनमे से 9 केस में बुलेट प्रूफ जैकेट में फायर हुयी है)

7) 8 FIR में पुलिस ने पहले से ही लिख दिया की उन्होंने “सुप्रीम कोर्ट और ह्यूमन राइट कमीशन की गाइडलाइंस को फॉलो करते” हुए कार्यवाही की है
8) 18 FIR में क्रिमिनल को मार दिया और साथी भाग गया (जबकि दोनों एक ही बाइक पर आये और दोनों साथ में गिरे थे)

9) 16 पोस्टमार्टम रिपोर्ट देखीं जिसमें से 3 को सीधा हेड-शॉट (सर में), 8 को छाती में गोली लगी थी मतलब बचने का कोई चांस नहीं। बाकियों को कई गोलियां मारी गयी, जय हिन्द यादव के 19 से अधिक घाव थे।

उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व डाइरेक्टर जनरल प्रकाश सिंह की पेटिशन के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस सुधार का खाका तैयार किया है। उनका कहना है की हर एनकाउंटर की भाषा, साक्ष्य एवं गवाह अलग-2 होने चाहिए।

10) हर एनकाउंटर के बाद उन अधिकारियों का प्रमोशन और तबादला हो जाता था। शामली में 5 एनकाउंटर्स में 6 मारने वाले SP अजय पाल शर्मा को नॉएडा ट्रांसफर और प्रमोशन देकर एसएसपी बना दिया गया। नॉएडा जाकर भी शर्मा जी ने 2 लोगों को एनकाउंटर्स में ठोका है।

सवाल

1.) रात के अँधेरे में भी UP पुलिस निशाना लगा कर सर में गोली मार रही है वो जवान कभी शूटिंग प्रतियोगिता में कोई मैडल क्यों नहीं लाते ?
2.) ह्यूमन राइट कमीशन ने जिन #UPFakeEncounters में सरकार से जवाब माँगा था उनमें जवाब न मिलने पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं की गयी ?
3.) एनकाउंटर्स की जांच में परिणाम आने से पहले ही पुलिस वालों के प्रमोशन क्यों किये गए जबकि नियम इसके खिलाफ है ?

ऐसी कई वाजिब सवाल हैं, जिन्हे किसी भी पार्टी का कोई भी नेता नहीं उठा रहा, मै सत्ता से ज्यादा विपक्षियों को दोषी मानता हूँ। क्या सिर्फ विवेक तिवारी ही एक मुआवजे लायक व्यक्ति था ? क्या मुश्तकीम, नौशाद, इकराम, सुमित गुर्जर, जीतेन्द्र यादव, मुकेश राजभर के जीवन की कोई कीमत नहीं थी ?
समय निकाल कर लिखता हूँ, आप कम से कम इसे शेयर, कॉपी, इत्यादि करके बात को अधिक लोगों तक तो पहुंचाइये ताकि लोगों में इसके खिलाफ जागरूकता आये, ये नेता तो सिर्फ चुनाव में याद करेंगे हमें।


— LakshmiPratap Singh