क्या मोदी सरकार में एक भी सरकार के आलोचक को कोई सम्मान मिला ?

Awards in Modi Govt

आर. के. लक्मण को इंदिरा गाँधी की कांग्रेस सरकार में “पद्मविभूषण सम्मान” दिया गया था। जबकि वो स्वयं इंदिरा के धुर आलोचक थे। उन्होंने कहा था की “उस महिला से पद्मविभूषण मिला जिसका हमेशा मजाक बनाया। अटल बिहारी वाजपेयी की भाजपा सरकार में वाजपेयी के आलोचक और राजयसभा सांसद वरिष्ठ पत्रकार एम. पी. केटकर को “पद्मश्री” सम्मान दिया गया था।

क्या मोदी सरकार में एक भी सरकार के आलोचक को कोई सम्मान मिला ? जवाब है.. “नहीं “.. मतलब इंदिरा छोड़िये ये अटल बिहारी की परम्परा को भी खा गये हैं। पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्त्ता असल में सरकार का आईना होते थे, की उनकी बनाई पॉलिसी और जनता के बीच पहुंचे लाभ में कितना गैप है ये पत्रकार उजागर करते थे। लेकिन मोदी सरकार में सबसे पहले मानवाधिकार कार्यकर्त्ता और पत्रकारों पर ही मुक़दमे ठोक कर जेल भेजा गया।

इन सम्म्मानों का सबसे बड़ा मजाक ये है की कँगना रनौत को सम्मान मिला “बॉलीवुड में उसके योगदान के लिए” और वो खुद राजनैतिक बयान दे रही है की उसे “देश को तोड़ने वाली शक्तियों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए इनाम मिला है।” अरे सिर्फ बकवास करने पे पद्मश्री देना था तो संबित को देते.. बकलोली पे देना था तो “के. आर. के.” को देते,

और सच में फिल्मों में योगदान को ही देना था तो अनुराग कश्यप, तिगमांशु धूलिया को देते जिन्होंने कहानी कहने का अंदाज बदला.. या फिर आयुष्मान खुराना, मनोज वाजपेयी, राजकुमार राव को देते जिन्होंने टेबू सब्जेक्ट पे बनी फ़िल्मों में किरदार निभाए। या बाहुबली निर्माता राजामौली को देते जिसने बॉलीवुड को दुनियां के कोने -2 में पहुँचाया।

पद्मश्री में सिद्दीकी कप्पन का नाम होना चाहिए था जो खांटी पत्रकारिता करने के आया था और जेल में सड़ रहा है। #कालचक्र