कांग्रेस और भाजपा राज में असल अंतर क्या है जो अभी इकोनॉमी डूब रही है और तब दौड़ रही थी। जबकि भ्रष्टाचार तो दोनों सरकार में है।
Lakshmi Pratap Singh उदाहरण सहित समझा रहे हैं भारत की अर्थव्यवस्था।
कांग्रेस सरकार में 80 करोड़ रुपया का काम कराने के लिए एक योजना बनती थी, सरकार 100 करोड़ का बजट बनाती थी. 10 करोड़ रुपया मंत्री खाता था. 10 करोड़ रुपया सरकारी महकमा-अधिकारी खा जाते थे. 10 वो ठेकेदार खा जाता था जिसने असली काम किया. 70 करोड़ रुपया में से काम करने वाली संस्था 20-30 करोड़ फिर से मजदूर, कर्मचारी, IT मेटरियल इत्यादि पे खर्चा करती थी.
ये 30 करोड़ का भ्रस्टाचार और 20 करोड़ की वेतन मजदूरी वापस घूम कर मार्किट में आ जाती थी क्योंकि इसका वितरण हज़ारों लोगों में थोड़ा -2 होता था, और कपडा, सिनेमा, टूरिज्म, होटल, घर, गाड़ी इंश्योरेंस में खर्च होती थी जिससे इन उधोगों में भी नौकरियां व् काम रहता था. अर्थशास्त्र में इसे “मल्टीप्लायर इफेक्ट” कहते हैं. मतलब एक आदमी मार्किट में जो पैसा खर्चता है वो किसी सेठ की तिजोरी में ठहरने से पहले कम से कम 40-42 लोगों के हाथ से होकर गुजरता है. इससे आम जनमानस में धन की बराबरी रहती है.
इससे लोगों में खरीदने की जो औकात बनती है इसे अंग्रेजी में “पर्चेजिंग पावर” कहते हैं. जिस देश की माली हालत वहां के नागरिकों की यही ख़रीददारी करने की औकात से नापी जाती है. कांग्रेस के ज़माने में इसके आधार पर भारत दुनियां में सबसे मजबूत देशों में एक हो गया था और GDP ग्रोथ 8 अंक से ऊपर चल रही थी.
भाजपा राज में 80 करोड़ के काम के लिए 300 करोड़ का बजट बनता है. जिसका ठेका सीधा अम्बानी या अडानी को दे दिया जाता है. अडानी उसमे से 3 करोड़ मिडिया को देता है और 100 करोड़ के इलेक्टोरल बांड खरीद के भाजपा को चंदा दे देता है और 20 करोड़ सीधा मंत्री जी को. ये ठेका सीधा मिला इस लिए किसी सरकारी कर्मचारी को दो टका नहीं देता. इस सिस्टम ने बेरोजगार और मजबूर किये ठेकेदार/छोटी कंपनी को अडानी 5-10 % प्रॉफिट पे 40 करोड़ का काम सब-लीज कर देता है. ठेकेदार भी मजबूरी में काम लेता है.
40 करोड़ के काम में अडानी ने क़ानूनी रूप से 137 करोड़ कमाए जिससे वो मार्किट में नहीं लगाएगा. इसके पैसे इंश्योरेंस होटल कार में नहीं जायेंगे. इससे नयी डिमांड नहीं बनेगी, नए रोजगार नहीं बनेगे, लाखों की बजाय सिर्फ एक दो लोगों की परचेजिंग पावर बढ़ेगी. देश का टैक्स का पैसा मात्र मंत्री, भाजपा और अडानी की जेब में जायेगा. मंत्री विदेशी बैंको में डाल देंगे जहाँ सुरक्षा के लिए उल्टा ब्याज देना पढता है.
अडानी इस 137 करोड़ से SBI के साथ मिलके 137000 करोड़ बनाने के लिए कमर्चारियों, किसानो को लोन देगा, क्रेडिट कार्ड देगा. अब नौकरी धंधे तो इसी सिस्टम ने बंद किये तो लोन न चुका पाने के केस में उनकी जमीने छीनेगा. और ध्यान रहे ये सब कानून के दायरे में रह के होगा. वो जो कोर्ट है वो इस पूरे मामले में आपकी बजाय अडानी का साथ देगा. #कालचक्र
इस लिए भ्रष्टाचारी कांग्रेस के राज में देश की हालत भाजपा से बेहतर थी. लेकिन ये बात समझने के लिए आपको whatsapp की बजाय किसी असली यूनिवरसिटी की डिग्री लगेगी।