मोदी जी ने आज 76 वे अमृत महोत्सव के दौरान देश को सम्बोधित करते हुए जो भाषण दिया वो एक बार फिर सपने दिखाने जैसा था। उन्होंने आत्मनिर्भर से जय अनुसन्धान जैसी बातें कही जो पूरा हो जाये तो किसी ख्वाब से कम नहीं थी.. आइये उनके दिखाए सपने और उनकी हकीकत की पड़ताल करते हैं ।
जय अनुसन्धान :
मोदी जी ने लाल बहादुर शास्त्री जी के “जय जवान जय किसान” और अटल जी के “जय विज्ञानं” में एक और लाइन जोड़ने की कोशिश की “जय अनुसन्धान।” अनुसन्धान के लिए देश में Ph.D और एमफिल के शोधार्थी फेलोशिप करते हैं। मोदी सरकार ने संन 2017 मार्च में UGC की पॉलिसी बदली और अनुसन्धान अर्थात शोधार्थियों की सीटें घटा दी थी। इस पॉलिसी से पूरे देश के विश्वविद्यालयों में रिसर्च करने वाली सीटें कम हुए। इसके अनुपात का अंदाजा इस बात से लगाइये की JNU एकेडमिक साल 2016-17 में शोध की 1000 सीटों को घटा कर 2017-18 में मात्र 194 कर दिया गया था. इस बाबत कई विश्वविद्यालयों में हड़ताल व् विरोध प्रदर्शन भी हुए थे. यदि अनुसन्धान की सीटें कम कर दोगे, उनका बजट घटा दोगे तो अनुसन्धान का जयकारा लगाने से क्या फायदा ?
मोदी जी ने कहा की जिन लोगों ने बैंकों से कर्जा लेके भागने का काम किया है उनसे वसूला जायेगा. 10 अगस्त 2022 को राजयसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में वित्त मंत्रालय के राज्यमंत्री, भगवत के. कराड़ ने बताया की मोदी सरकार ने मात्र पिछले 5 सालों में 10 लाख करोड़ का लोन राइट ऑफ किया है (अर्थात बट्टे कहते में डाला है). ये लगभग सभी बड़े लोन, व्यापारियों के लोन हैं. पिछले साल मेहुल चौकसी, माल्या और ललित मोदी के लोन भी बट्टे खाते में डालने से बवाल हुआ था. सरकार इन लोगों की सपत्तियाँ कुर्क करने की बजाय उनके लोन को बैंको की किताब से ही हटा रही है और मोदी जी लाल किले से कहते हैं की बैंको को लूटने वालों से धन वसूला जायेगा।
पहली बार अमृत महोत्सव पर मेड इन इंडिया तोप से सलामी दी गयी. मोदी जी ने कहा की दुनियाँ पर निर्भर रहना छोड़ना होगा. ज्ञात रहे रफाएल जेट की टेक्नोलॉजी वाला करार ख़त्म करके मोदी जी ने सीधे बने बनाये विमान खरीदे हैं जिससे भारत अगले 50 साल तक रिपेयर व् पार्ट्स के लिए भी फ़्रांस पर निर्भर रहेगा. इसके अलावा नेशनल हाइवे अथॉरिटी “दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे” रोड के पुलों का ठेका भी चीनी कंपनी को दे देती है।
भारत के 8,000 व्यापारी मोदी सरकार में भारत छोड़ के विदेशों में चले गए हैं. इनके साथ अरबों का धन भी विदेश गया है. अब ये जो भी पैसा कमाएंगे उसे विदेश ले जायेंगे क्योंकि उन्हें भारत का माहौल और सरकारी नीतियों में धंधा करना मुश्किल हो रहा है। भारत में कुछ गिने चुने व्यापारियों को सारी रियायतें मिल रही हैं, प्राइवेटाइजेशन में वरीयता मिल रही है, लोन आसानी से पास हो रहे हैं और एक बहुत बड़े वर्ग को ऐसी कोई सुविधा नहीं है। इस लिए एक बहुत बड़ा वर्ग भारत से अपना कारोबार समेट रहा है।
कोरोना के दौरान चीन से जिन कंपनियों ने अपना व्यापार समेटा उसमें से अधिकतर थाईलैंड और फिलीपींस गयीं भारत नहीं आयी. वर्तमान सर्वे के अनुसार हर 4 में से 1 यूरोपियन कंपनी चीन से धंधा समेत कर दक्षिण एशिया के किसी दूसरे देश में फैक्ट्री लगाना चाहती है. लेकिन ज्यादातर कम्पनियाँ थाईलैंड, फिलीपींस की तरफ जाना चाहती हैं. सामाजिक अशांति की वजह से भारत से अधिक तो भूटान व् कम्बोडिया में कम्पनियाँ शिफ्ट हो रही हैं. ऐसे में किस तरह आत्मनिर्भर भारत का सपना पूरा होगा ?
मोदी जी ने अच्छे दिन की तरह एक बार फिर बड़े सपने दिखाए हैं, यही उनकी स्पेशालिटी है शायद उनका विजन आम नेताओं से कही बड़ा है। वो एक बड़ा सपना दिखाते हैं, उस सपने को पूरा करने के वक्त एक दूसरा उससे बड़े सपने की बात करते हैं. और पब्लिक पिछले सपने को भूल जाती है।
पिछले सालों में मोदी जी ने कहा था की, “75 वे अमृत महोत्सव तक हर परिवार के पास अपना घर, घर में नल, नल में जल होगा।” एक आंकड़े के अनुसार वर्तमान में 17 लाख बेघर परिवारों के पास अपना कोई घर नहीं है. ध्यान रहे यहाँ किराये पर रहने वाले नहीं बल्कि बेघर लोगों की बात हो रही है. तो अब जब उस वादे के बारे में ये बताने का समय आया की कितने प्रतिशत लोगों को घर दिया ? कितने को कॉलोनी मिली ? बचे हुओं को कब तक मिलेगा तो दूसरे वादे मिल गए हैं।
खैर आजादी के 76 वे अमृत महोत्सव की आप सभी को बहुत शुभकामनायें। #कालचक्र जय हिन्द.