◆ सरकारी या PSU बैंकों की “सर्विस ख़राब” है..PSU बैंक वाले “बहुत ज़्यादा लंच” करते है : IT सेल ऐसा ही व्हाट्सप्प भेजता है ना PSU बैंकों को बेचने के समर्थन में? और आप को भी सच लगने लगता है!!
★★ बस “0.01 ग्राम का कॉमन सेंस” इस्तेमाल कीजिए..अगर “SBI की सर्विस” इतनी ही ख़राब है तो अडानी SBI से 14,000 करोड़ का लोन क्यो मांग रहा है? अडानी किसी “अच्छी सर्विस” वाले बैंक से लोन क्यो नही ले लेता? हवा निकल गई??
★★ आप किसी भी उद्योगपति का लोन उठा कर देख लीजिए, 50%-70% लोन सरकारी बैंकों से मिला है..कुछ उद्योगपतियों के तो 80%-90% तक लोन सरकारी बैंकों से ही है!! “सर्विस” अच्छी है या ख़राब?
◆ चलिए, IT सेल का लॉजिक मान लेता हूँ कि सरकारी बैंकों की सर्विस ख़राब है..पर सुरक्षा/सिक्योरिटी तो 110% है..सुरक्षा से बड़ी सर्विस और क्या हो सकती है?
👉 फ़र्ज़ कीजिए, आप बैंक में जब भी जाएं बैंक आपको 5 स्टार होटल का खाना खिलाए..और एकदिन सुबह वो बैंक डूब जाए और आप भिखारी बन जाएं!! क्या आप अपनी जमापूंजी पर ख़तरा मोल ले कर “अच्छी सर्विस” चाहेंगे?
◆ सरकारी बैंक और प्राइवेट बैंक की सर्विस में हरदम फ़र्क़ रहेगा..उसके 100 कारण है..बेशक सर्विस सुधरनी चाहिए..पर जब लाखो करोड़ का लोन लेना हो तब सरकारी बैंक चाहिए, और बैंक बेचना हो तो “सर्विस ख़राब” : आपको बेवक़ूफ़ बनाया जा रहा है..
✋मेरी एक सलाह है : आपकी “रीढ़ की हड्डी” के बिना आप चलने के बजाय “रेंगने” लगेंगे..सरकारी बैंक “देश की रीढ़ की हड्डी” है..सरकारी बैंक बिकने पर “देश भी रेंगने लगेगा”..समझे तो ठीक वरना “लंका लगना” तय है..
Writer : Krishnan Iyer