सरकारी संपत्तियों की विकावली के दुष्परिणाम

मोनोपोली के बारे में कई बार लिखा.. अब देश भोगने लगा है.. 84 दिनों के पैक पर जिओ, आईडिया-वोडा, और एयरटेल ने करीब 500 रूपये बढ़ा दिए हैं। जिओ ने यूनिनोर, वोडा को भगा दिया.. कोर्ट भी इन्हें मदद ना देके बंद कराने में लगा था.. अब सिर्फ तीन प्लेयर हैं, आसानी से आपस में बैठ कर एक साथ रेट बढ़ा रहें हैं.. अब बताइये जानता के पास किसी दूसरे कम्पनी में जाके इससे बचने का कोई विकल्प है ? अधिक कंपनियों में कम्पटीशन के चलते सामंजस्य नहीं बनता और इसके चलते सस्ते रेट का फायदा कंज्यूमर को मिलता है… अब नहीं मिलेगा… (BSNL अभी भी सस्ती दरों में दे रहा लेकिन सरकार ने उसे 4G स्पेक्ट्रम ही नहीं दिया)

जब अम्बानी के सेल्समेंन ने जिओ लॉन्च किया तो उसमें लिखा था की भारत के किसी भी यूजर को अब कभी भी वॉइस कॉल के लिए पैसा देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन अब आपका प्लान ख़त्म होते ही आपकी आउटगोइंग बंद कर दी जाती है.. लिखित में झूठ बोला गया..

जिओ के एड में लिखा था कि सिम लाइफ टाइम हैं, जबकि ऐसा नहीं रहा। लाइफ टाइम शब्द की भी एक वेलिडिटी निर्धारित कर दी गयी। मतलब वो भी झूठ था। क्या इसके लिए कोई कोर्ट या कंज्यूमर फोरम जायेगा ?

अडानी सी-पोर्ट, एयरपोर्ट, वेयरहॉउस खरीदने के बाद 2 साल में औद्योगिक रेलवे #कॉनकोर को ख़रीद चुका होगा। इस देश में छोटा धंधा करने के लिए आपको अडानी के आगे झुकना पड़ेगा, उसके आलावा आपके पास कोई विकल्प नहीं होगा क्योंकि माल भेजनें के लिए सड़क, रेल, पोर्ट तो आप नहीं बना सकते अपना। देश के हर छोटे बड़े व्यापारी का 40-50% मुनाफा अडानी जबरिया छीन लेगा और आप कुछ नहीं कर पाएंगे। क्योंकि इस सरकार में आपने मोनोपोली यानी एकाधिकार के दुष्परिणामों को अनदेखा किया.. आपको लगा था इससे आपके जीवन पे क्या फ़र्क़ पड़ेगा..

अभी भी समय है, इस सरकारी संपत्तियों की विकावली का विरोध करो, प्राइवेट प्लेयर आने के बाद आपकी जिंदगी उनकी उधारी पे चलेगी.. (और आज ही BSNL की एक सिम भी खरीद लो..)