16 जून 2017 को एक आरटीआई एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर ने आरटीआई के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी और पिछले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के विदेश दौरे और उनपर हुए खर्च की जानकारी मांगी थी. इस पर प्रधानमंत्री ऑफिस में तैनात अंडर सेक्रेटरी और सेंट्रल पब्लिक इनफार्मेशन अफसर प्रवीण कुमार ने आरटीआई कानून का उल्लंघन करते हुए जानकारी देने से मना कर दिया था.
इस देश में आज तक सबसे ज्यादा RTI में जानकारी ना देने का रिकार्ड PMO के नाम ही है.
अभी सरकार ने कानून बनाते हुए कहा है की विदेश जाने वाले हर व्यक्ति की व्यक्तिगत जानकारी को कस्टम्स को सौंपना होगा. ऐसा ना करने पे 50 हज़ार का जुर्माना है. इस जानकारी में टिकट का पीएनआर, सीट संख्या, जन्मतिथि, सहयात्री का विवरण, भुगतान का विवरण, ट्रेवल एजेंसी इत्यादि प्रावेट जानकारियां भी शामिल हैं.
ध्यान रहे अपने प्रावेट जेट से यात्रा करने वाले अम्बानी और अडानी और सिक्युरिटी एडवाइजर अजीत डोभाल के सिंगापुट मॉरीसस में कंपनी चला रहे बेटों लिए यहाँ कोई गाइडलाइन नहीं दी है. प्रधानमंत्री खुद अपने ट्रिप्स की जानकारी नहीं देना चाहते जबकि वो जनता के पैसे उड़ा रहे हैं. लेकिन जनता की सारी जानकारी चाहिए, भले वो अपने पैसे से ट्रेवल करेगी. पेगासस के बाद प्राइवेसी पर ये दूसरा बड़ा हमला है.
इस कानून के माध्यम से केंद्र सरकार राज्यों की पार्टियों पर अपना शिकंजा मजबूत कर रही है. सारी शक्तियां केंद्रीय एजेंसियों को दी जा रही हैं जो अमित शाह को रिपोर्ट करती है. जब मोदी जी गुजरात से जापान शिंजो आबे से मिलने जाते थे तब उनसे जानकारी नहीं ली गयी लेकिन अब अगर कोई राज्य सरकार का नेता विदेश के किसी समारोह में जायेगा या कही घूमने भी जायेगा तो उसे केंद्रीय एजेंसियां परेशांन करेगी. सरकार के खिलाफ लिखने वाले पत्रकारों को प्लेन में चढ़ने से रोक लिया जायेगा. अब आप को भारत में ही नार्थ कोरिया की फील आ सकती है ?
हम कुणाल कामरा के केस में देख चुके हैं की कैसे बिना कानून सिर्फ अर्णाभ गोस्वामी के लिए सारी एयरलाइंस से कामरा को बैन करा दिया गया था वो भी बिना सर्कुलर दिए. तो आने वाले समय में इस कदम का सिर्फ दुरुपयोग ही होगा. ये बस तानाशाही 2.0 लागू करने का एक और कदम है. #कालचक्र