मजहब से राष्ट्र नहीं बनता

मजहब से राष्ट्र नहीं बनता है, अगर बनता है तो टूट जाता है.

सिकंदर एक ईसाई नहीं था। वह 356 ईस्वी पूर्व अर्थात ईसा मसीह के जन्म से 356 साल पहले पैदा हुआ था। आज ग्रीस और मैसेडोनिया की 98% जनता ईसाई है। तो उन्होंने सिकंदर को अपनी इतिहास की किताबों से बाहर कर दिया क्या, सिर्फ इसलिये कि वह ईसाई नहीं थे? नहीं! उन्होंने ऐसा नहीं किया। सिकंदर आज भी ग्रीस और मैसेडोनिया के इतिहास का एक अभिन्न अंग है!

दूसरी ओर हमने, चंद्रगुप्त मौर्य, सम्राट अशोक, राजा पोरस, राजा दाहिर, बाबा गुरु नानक, भगत सिंह और हेमू कालानी को हमारे इतिहास और पाठ्य पुस्तकों से बाहर कर रखा है, सिर्फ इसलिये कि वे मुसलमान नहीं थे। इतना ही नहीं, हमने अरब आक्रमणकारी मोहम्मद बिन कासिम और लुटेरे महमूद गजनवी को अपनी पाठ्य पुस्तकों में न ही सिर्फ शामिल किया है बल्कि नायक का दर्जा दिया हुआ है, सिर्फ इसलिए कि वे मुसलमान थे।

मुसलमानों का दुनिया के पचास से अधिक देशों में विभाजित होना, और मुसलमानों द्वारा ही पाकिस्तान से अलग बांग्लादेश का निर्माण करना यह साबित करता है कि किसी मज़हब से राष्ट्र नहीं बनता और अगर बनता है तो टूट जाता है।

(Waseem Altaf)

पाकिस्तानी लेखक वसीम अल्ताफ की एक पोस्ट का Shambhu Shankar द्वारा का अनुवाद.

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