Vijay Shankar Singh

विजय शंकर सिंह एक रिटायर्ड IPS ऑफिसर हैं. वह कानून व् अर्थव्यवस्था के मुद्दों पर गहरी जानकारी वाले लेख लिखते हैं. विजय शंकर जी के लेख Editorials कई नामी पत्र-पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशित होते रहते हैं. विजय शंकर जी के सभी महत्वपूर्ण लेख आप यहाँ पढ़ सकते हैं।

रिचर्ड एटनबरो : जिन्होंने गांधी की छवि को आम आदमी तक पहुंचाया

रिचर्ड एटनबरो की पुण्यतिथि पर विशेष ~ रिचर्ड एटनबरो (29 अगस्त 1923 – 24 अगस्त 2014) ऐसे प्रतिभाशाली अँग्रेज अभिनेता, निर्देशक व निर्माता हैं जिन्हें अकादमी पुरस्कार, बैफ्टा और तीन बार गोल्डेन ग्लोब पुरस्कार से सम्मानित किया गया । उन की गाँधी फ़िल्म को साल 1983 में दो श्रेणियों में ऑस्कर पुरस्कार मिला था। एटेनबरा …

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समझौते का सवाल ही नहीं उठता, लड़ाई शुरू होने दो: संजीव भट्ट की कविता

सच बोलने की कीमत चुकानी पड़ती है, खासकर तब जब तानाशाही सरकार होती है। सत्ता पाने के लिए, विश्व में धर्मनिरपेक्ष भारत की छवि को दफना देने की 2002 गुजरात दंगे में कुछ ही अधिकारी अपने कर्तव्य का पालन किए बाकी रवायत के अनुसार अपने मुखिया के गलत आदेशों को अंजाम देने व दंगों को …

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सर्वे: भारत में 80 प्रतिशत परिवारों में भोजन तक की समस्या.

इस सर्वे के लिए 14 राज्यों में जितने लोगों से बात की गई उनमें से 79 प्रतिशत परिवारों ने बताया कि 2021 में उन्हें किसी न किसी तरह की “खाद्य असुरक्षा” का सामना करना पड़ा. 25 प्रतिशत परिवारों को “भीषण खाद्य असुरक्षा” का सामना करना पड़ा. सर्वेक्षण भोजन का अधिकार अभियान समेत कई संगठनों ने …

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प्रदीप गिरी नहीं रहे

साल, 1973, बीएचयू का राजा राममोहन राय हॉस्टल। वहीं, प्रदीप गिरी, से पहली बार मुलाकात हुई थी। मुलाकात के माध्यम बने थे, नेपाल के ही मेरे मित्र, हरे कृष्ण शाह। शाह, पॉलिटिकल साइंस के छात्र थे, और मैं इतिहास का। शाह हमारे पुराने मित्र, और हम, यूपी कॉलेज वाराणसी में साथ साथ थे। उस पहली …

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राजनितिक उठापटक और जांच एजेंसियों की साख

सरकारें न तो पहली बार गिराई और बनाई जा रही है, और न ही पहली बार, दलबदल हो रहा है। यह लंबे समय से चलता रहा है और आगे भी चलता रहेगा। राजनीति का खेल ही, साम दाम दण्ड भेद पर आधारित है और सत्ता पाने के लिए यह सब आदि काल से होता रहा …

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राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का पद भले आसान नहीं है, लेकिन लोहिया, जेपी की राह आसान है नीतीश के लिए

पिछले दो तीन दिनों से चर्चा है नीतीश कुमार क्या करने वाले हैं? क्या बीजेपी से गठबंधन खोल राजद के साथ गांठ बाँधेंगे? लोग ये भी कह रहे हैं बीजेपी उनको घेर चुकी है और किसी भी दिन उनकी मुंडी मरोड़ देगी। मैं देख पा रहा हूँ नीतीश कुमार राजनीति के चतुर खिलाड़ी हैं। उन्हें …

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बांग्लादेश में कल पेट्रोल डीजल के दाम एक झटके में ही 51.7% बढा दिए गए, डेढ गुने से भी ज्यादा हो गए। क्यों?

आयात के लिए विदेशी मुद्रा नहीं है। आईएमएफ से कर्ज लेना है। उसकी शर्त है ‘सबसिडी’ घटाओ। जी हां, ‘सबसिडी’ नहीं घटायेंगे, आम लोगों से वसूली नहीं बढायेंगे, तो देशी विदेशी पूंजी को बडी बडी रियायतें कहां से देंगे? तीव्र पूंजीवादी वृद्धि, जीडीपी बढने, प्रति व्यक्ति औसत आय बढ जाने वगैरह वगैरह की जो भी …

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राष्ट्रीय ध्वज पर फैलाए जा रहे दुष्प्रचार और तथ्य

सोशल मीडिया पर, राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के संदर्भ में, एक पोस्ट लगातार शेयर की जा रही है, जिसमे यह बताया जा रहा है कि, आखिर 52 साल तक आरएसएस ने, अपने मुख्यालय और अन्य दफ्तरों पर, तिरंगा क्यों नहीं फहराया गया। उक्त लेख, मूलरूप से किसने लिखा है और ओरिजिनेट कहां से हुआ है इस …

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