आजादी के 75 साल -2

रजवाड़ों की इंदिरा से नफरत का असली कारण क्या है ?

बंगाल में जब अकाल पढ़ा उस साल भी अंग्रेजो ने लगान वसूलना नहीं छोड़ा था। अंग्रेजों का ये लगान भारत के ही साहूकार-जमींदार वसूलते थे और एक हिस्सा खुद रखके बाकी अंग्रेजों को दे देते थे। आजादी के बाद नेहरू ने अनाज की कमी को भरने की बहुत कोशिश की। लेकिन जमीने तब भी रियासतदारों, जमीनदारों, कारिंदा, और देश बन्धुओं के पास थी। ज्यादातर किसान आबादी सिर्फ बेगारी मजदूर थी जिन्हे खाने भर को अनाज मिलता था और भयंकर शोषण होता था। अजादी के तुरँत बाद नेहरू अमेरिका से PL-480 समझौते के तहत अनाज लाये लेकिन ये साहूकार अपनी चलाते थे। नेहरू इतने इरिटेट हुए कि लाल किले से कहा कि ये शर्म कि बात है कि हमें अनाज भी विदेशों से लेना पड़ रहा है। कुछ समय लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री रहे तभी पाकिस्तान से युद्ध छिड़ गया। साहूकार अनाज खरीद के गोदामों में भर लिए और फिर अकाल पढ़ गया। शास्त्री जी ने देश से एक समय खाना ना खाने की अपील की।

हमेशा अकाल प्राकृतिक होता है लेकिन भुखमरी साहूकारों द्वारा मुनाफे के लिए अनाज का भंडार करने की वजह से पैदा होती है।

इंदिरा ने प्रधानमंत्री बनते ही सबसे पहले जमींदार, कारिंदा, रियासतों की संपत्ति छीन के सरकार में मिलाई और जनता में बाँटी। जमीनों की सीलिंग करदी। पूरे गांव की 500-1500 एकड़ जमीन जो जमींदार लेके बैठा था और सारे गांव से मजदूरी करवाता था उसकी जमीन लेके उसपे खेती करने वालों को बाँट दी। उस समय बड़ी आबादी के पास जमीन नहीं थी तो 72 में उसपे खेती करने वाले किसानों को दोबारा मेपिंग करके जमीन बाँटी और SC, ST, OBC को प्रिऑरिटी दी। देश का हर रजवाड़ा इंदिरा को गाली देता है क्योंकि उन्होंने संपत्ति छीन ली और भत्ते भी बंद कर दिए गए थे।

अकाल का फायदा लेने वाले साहूकारों की मोनोपोली तोड़ने के लिए प्रधानमंत्री बनते ही “प्राइस कमीशन” और “फ़ूड कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया ” (FCI) बना दिया। मतलब अब अनाज के “न्यूनतम दाम” कोई बिचौलिया नहीं बल्कि सरकार तय करने लगी। और “सरकारी खरीद केंद्रों” के माध्यम से FCI उसी दाम पे खरीदने लगी। अब या तो व्यापारी किसान के अनाज का सरकार के मूल्य से ज्यादा पैसा दे नहीं तो किसान सरकार को बेच देगा। उसका फायदा किसानों को मिला। ध्यान रहे, इंदिरा ने ये सब तब किया जब देश में ट्रेक्टर, मशीनें, ट्राली, कल्टीवेटर, कटर, बुवाई टूल, सिचाई व्यवस्था के साथ ज्यादातर जगहों पे बिजली तक नहीं थी। अनाज की धुलाई को सड़कें वा अच्छे साधन भी नहीं थे। ऐसी परिस्थितियों में इंदिरा ने भारत में “हरित क्रांति” की थी।

इंदिरा ने कारिंदा, जमींदार, अमीरों की जमीन उसी के यहाँ मजदूरी करने वाले भूमिहीन गरीबों को दे दी। खेती के लिए उन्हें मेक्सिको और मनीला से मंगाकर गेहूं -चावल के अच्छे हाइब्रिड बीज दिए और उचित मेहनताना के लिए उनकी अच्छी फसल के दाम भी सुनिश्चित किये। यही कारण है कि पूरे देश के किसानों ने योगदान देकर 1970 में ही सरकारी गोदामों में इतना अनाज भर दिया कि ये देश अब कभी भुखमरी का शिकार नहीं हो सकता। अब हम Food Secure Nations में आते हैँ।

कोरोना काल में आज देश की केंद्र सरकार, हर राज्य सरकार, NGO जिस संस्था FCI से अनाज लाकर गरीबो को दे रही है उसे कांग्रेस की इंदिरा गाँधी ने बनाया था। फ़ूड सिक्युरिटी एक्ट, मनरेगा, लोन माफ़ी स्कीम कांग्रेसी लाये थे। और मोदी जी और भाजपाई कहते हैँ 70 साल में कांग्रेस ने किया क्या है ? लगता है इन लोगों को इतिहास की जानकारी नहीं है।

कालचक्र #आजादीके70साल