लेखक : लक्ष्मी प्रताप सिंह
कानपूर हिंसा में पुलिस ने जिसे आरोपी बताया है उससे जुड़े NGO में साल 2019 में लगभग 2 करोड़ की विदेश से फंडिंग हुयी है. पहली बात तो ये की Foreign Exchange Monetry Act (FEMA) वाले 3 साल से सो रहे थे क्या ? दूसरी बात भारत के किसी भी NGO को विदेश से फंडिंग लेने के लिए केंद्र सरकार से अप्रूव्ड होना पढता है. और हर साल सारे NGO अपनी फंडिंग व् खर्चों का ब्यौरा केंद्र सरकार के मंत्रालय को सौंपते हैं.
तो अगला सवाल सरकार से है की अगर ये पैसा गलत काम के लिए आया तो 3 साल इस जानकारी के बावजूद आपने रोका क्यों नहीं ? आप किस घटना का इंतज़ार कर रहे थे ?
सन 2019 लोकसभा चुनाव में आतंकवादियों को फंडिंग करने वाली कंपनियों ने भाजपा को चंदा दिया था। “RKW Developers Ltd” पर भी आतंकवादियों व् 1993 के मुंबई ब्लास्ट वाले इक़बाल मेनन, इक़बाल मिर्ची और दाऊद का खास होने पे जाँच चल रही थी और उसने भाजपा को मोटा चंदा दिया था।
तीसरा सवाल ये है की भाजपा ने साल 2019-20 में जो 3,623 करोड़ रुपया जुटाया वो किस किस ने दिया उसकी जानकारी भी सार्वजानिक क्यों नहीं करते हैं ? एक ही काम पे दो अलग स्टेण्ड वाली दोगलई क्योँ ?
देश के सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल का एक बेटा जिस पाकिस्तानी के साथ दुबई में कंपनी खोल के बैठा है उसका नाम भी आतंकी गुटों को फंडिंग करने में जुड़ा है. दूसरी तरफ वही बेटा भारत सरकार के चार केंद्रीय मंत्रियों के साथ India Foundation नाम की संस्था चला रहा था. इस मामले में भाजपा चुप क्यों हो जाती है. ? #कालचक्र
इस देश में जनता और भाजपा के लिए कानून अलग हैं क्या ?